अभिकेन्द्र बल क्या है किसे कहते हैं (वृत्तीय गति ) के उदाहरण सहित समझाइए [Examples of Centripetal Force (Circular motion)]

दोस्तों हम इस पोस्ट में आज आपको बताने वाले हैं कि अभिकेन्द्र बल (वृत्तीय गति ) के उदाहरण [Examples of Centripetal Force (Circular motion)] तो हम पूरी कोशिश करेंगे कि हम आपको आसान भाषा में समझा पाए जिससे आप बहुत अच्छे से समझ सके उम्मीद है कि आप बहुत अच्छे से सरल भाषा में समझ सकेंगे इस पोस्ट को पूरा पड़ेंगे आप अभिकेन्द्र बल (वृत्तीय गति ) के उदाहरण [Examples of Centripetal Force (Circular motion)] इसके बारे में पूरी जानकारी हो जाएगी |

अभिकेन्द्र बल (वृत्तीय गति ) के उदाहरण
[Examples of Centripetal Force (Circular motion)]

  1. डोरी से बँधे कण की क्षैतिज वृत्त में गति, जबकि कण का भार नगण्य है – जब किसी हल्की गेंद को डोरी से बाँधकर वृत्तीय पथ पर घुमाया जाता है तो गति के दौरान हम डोरी को हाथ से पकड़े रहते हैं, इस कारण डोरी में एक तनाव उत्पन्न हो जाता है और डोरी सदैव खिंची रहती है। डोरी में उत्पन्न तनाव बल ही गेंद को वृत्तीय पथ पर गति करने हेतु आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्रदान करता है । यदि डोरी अचानक टूट जाए अथवा उसे छोड़ दिया जाए तो डोरी के तनाव द्वारा गेंद को मिलने वाला अभिकेन्द्र बल समाप्त हो जाता है। अभिकेन्द्र बल की अनुपस्थिति में गेंद वृत्तीय पथ को छोड़कर न्यूटन के प्रथम नियम के अनुसार एक सरल रेखा में (स्पर्शरेखीय दिशा में) चली जाती है
  1. जब कीचड़ भरी सड़क पर किसी मोटरसाइकिल को बढ़ती हुई चाल से चलाया जाता है तो प्रारम्भ में कीचड़ के कण टायर से चिपककर उसके साथ गति करते हैं, परन्तु चाल के बढ़ते जाने के कारण कीचड़ के कणों को अधिकाधिक अभिकेन्द्र बल की आवश्यकता होती है जब कीचड़ के कणों को आवश्यक अभिकेन्द्र बल नहीं मिल पाता है तो कीचड़ के कण टायरों से छूटकर स्पर्शरेखीय दिशा में गति करते हैं
  2. प्राकृतिक घटनाओं में वृत्तीय गति-पृथ्वी सूर्य के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में परिक्रमण करती है अतः पृथ्वी पर भी एक अभिकेन्द्र बल लगता है जिसकी दिशा सदैव सूर्य की ओर रहती है। पृथ्वी को यह बल सूर्य द्वारा पृथ्वी पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल से प्राप्त होता है। इसी प्रकार, चन्द्रमा को पृथ्वी के चारों ओर एक वृत्तीय पथ में घूमने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र पृथ्वी द्वारा चन्द्रमा पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल से प्राप्त होता है।
  3. परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की गति – परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्तीय कक्षाओं में घूमते रहते हैं। नाभिक पर धनावेश तथा इलेक्ट्रॉन पर ऋणावेश होता है। अतः इनके बीच स्थिर वैद्युत आकर्षण बल होता है। यह बल ही इलेक्ट्रॉन को नाभिक के चारों ओर घूमने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्रदान करता है।उदाहरण 4.5 किग्रा द्रव्यमान का एक पिण्ड 1.0 मीटर त्रिज्या के वृत्त में 2 रेडियन / सेकण्ड के कोणीय वेग सेघूम रहा है। पिण्ड पर लगने वाले अभिकेन्द्र बल की गणना कीजिए।

उदाहरण 4.5 किग्रा द्रव्यमान का एक पिण्ड 1.0 मीटर त्रिज्या के वृत्त में 2 रेडियन / सेकण्ड के कोणीय वेग से
घूम रहा है। पिण्ड पर लगने वाले अभिकेन्द्र बल की गणना कीजिए।


हल : द्रव्यमान m = 5 किग्रा, पथ की त्रिज्या r = 1.0 मीटर, कोणीय वेग w = 2 रेडियन/सेकण्ड
पिण्ड पर लगने वाला अभिकेन्द्र बल F: = mrw2= 5 × 1• 0 × (2) 2 = 20 न्यूटन ।

दोस्तों उम्मीद है कि आप अभी केंद्र बल को समझ गए होंगे हमने इस पोस्ट में अपनी पूरी कोशिश की है कि आपको आसान और सरल भाषा में अभिकेंद्र बल को समझा पाए उम्मीद है कि आप बहुत अच्छे से समझ गए होंगे अगर आपको फिर भी कुछ भी जानकारी चाहिए या पूछना है तो हमसे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं धन्यवाद |

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *