न्यूटन का गति विषयक द्वितीय नियम (newton’s second law of motion) | newton’s second law in hindi बताइए उदाहरण परिभाषा समझाएं

हेलो दोस्तों आज की हम पोस्ट में पढ़ने वाले हैं न्यूटन का द्वितीय नियम न्यूटन का द्वितीय नियम क्या है न्यूटन के द्वितीय नियम का उदाहरण न्यूटन का द्वितीय नियम बताइए न्यूटन का द्वितीय नियम लिखिए इस तरह के सवाल आपसे पूछे जाते हैं तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ें न्यूटन का द्वितीय नियम आपको आसान और सरल भाषा में हमने समझाया है और हमने पूरी कोशिश की है कि आपको न्यूटन का द्वितीय नियम आसान भाषा में याद भी हो जाए और समझ में भी आ जाए |

न्यूटन का गति विषयक द्वितीय नियम (newton’s second law of motion)

कुछ सामान्य अनुभवों से हमें ज्ञात होता है कि किसी पिंड की गति प्रबल के प्रभाव को निर्धारित करने वाले दो महत्वपूर्ण प्राचल होते हैं

1. द्रव्यमान

2. चाल

यदि एक भारी एवं एक हल्का पत्थर समान ऊंचाई से गिर रहे हो तब पृथ्वी तल पर भारी पत्थर की तुलना में हल्के पत्थर को लपक ना आसान होगा | इस प्रकार स्पष्ट है कि किसी पिंड का द्रव्यमान गति पर बल के प्रभाव को निर्धारित करता है |

यदि समान द्रव्यमान के तो पत्थर भिन्न-भिन्न चाल से गतिमान हो तब अधिक चाल से गतिमान पत्थर को एक निश्चित समय अंतराल मैं रोकने के लिए अधिक पल की आवश्यकता होती है | इस प्रकार स्पष्ट है कि किसी पिंड की चाल गति पर बल के प्रभाव को निर्धारित करती है |

इस प्रकार किसी पिंड का द्रव्यमान तथा उसकी चाल का गुणनफल अर्थ पिंड का संवेग गति का एक महत्वपूर्ण सर जो गति पर बल के प्रभाव को निर्धारित करता है किसी पिंड के संवेग से अधिक परिवर्तन के लिए अधिक बल की आवश्यकता होती है | यह बल केवल संवेग परिवर्तन पर ही निर्भर करता है बरन इस बात पर भी निर्भर करता है कि यह परिवर्तन कितनी तीव्रता से किया जाता है यदि समान वेग से आ रही क्रिकेट की गेंद को एक खिलाड़ी हाथों को स्थिर रखकर कम समय में रोक लेता है तो उसे गेंद को रोकने के लिए अधिक वॉल की आवश्यकता होती है तथा उसके हाथों में अधिक चोट लगती है जबकि दूसरा खिलाड़ी हाथों को पीछे की ओर हटाकर गेंद को रोकने में अधिक समय लगाता है तो उसे गेम्स को रोकने के लिए कम बल की आवश्यकता होती है तथा उसके हाथों पर चोट कम लगती है इस प्रकार यदि समान संवेग परिवर्तन अपेक्षाकृत कम समय में किया जाता है तब अपेक्षाकृत अधिक बल की आवश्यकता होती है |

संवेग परिवर्तन का तात्पर्य केवल संवेग के परिमाण में परिवर्तन से नहीं है अपितु संवेग की दिशा में परिवर्तन भी है | अतः संवेग की केबल दिशा में परिवर्तन के लिए भी बल की आवश्यकता होती है जैसे यदि किसी पत्थर को एक डोरी से बांधकर chateej तल में वृत्तीय पथ पर एक समान चाल से घुमाया जाता है तब पत्थर के संवेग का परिमाण तो निरंतर नियत रहता है परंतु उसकी दिशा निरंतर परिवर्तित होती रहती है |

संवेग सदिश मैं इस परिवर्तन के लिए बल की आवश्यकता होती है यह बल डोरी से होकर पत्थर को हमारे हाथों द्वारा प्रदान किया जाता है यदि पत्थर को अपेक्षाकृत अधिक चाल से या कम त्रिज्या के पथ पर घूम आए तब संवेग में परिवर्तन तीव्रता से होता है | अतः हमारे हाथों को अधिक बल लगाना पड़ता है |

इसके विपरीत यदि भिन्न-भिन्न द्रव्यमान पिंड के संवेग पर समान वल समान समय तक लगाएं तब हल्का पिंड भारी पिंड के अपेक्षाकृत अधिक वेग प्राप्त कर लेता है परंतु परीक्षणों से ज्ञात होता है कि बल के प्रभाव से समान समय में दोनों पिंडो के संवेग में समान परिवर्तन होता है |

अतः स्पष्ट है कि किसी पिंड के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगाए गए पल पर निर्भर करती है अथवा लगाए गए बल के अनुरूप ही पिंड के संवेग में परिवर्तन की दर होती है | इस निष्कर्ष को ही न्यूटन ने अपनी गति विषयक द्वितीय नियम के रूप में व्यक्त किया है |

न्यूटन के गति विषयक नियम के अनुसार

न्यूटन के नियम का सूत्र परिभाषा

यदि m द्रव्यमान के पिंड पर बल F समय अंतराल डेल्टा t के लिए लगाने पर उसका वेग v से ( v+ डेल्टाv) हो जाए तथा नीचे दिए गए चित्र में न्यूटन के द्वितीय नियम का सूत्र दिया है



न्यूटन के नियम का सूत्र परिभाषा

अतः किसी वस्तु पर कार्यरत बल वस्तु के द्रव्यमान तथा उसमें उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है |



न्यूटन के नियम का सूत्र परिभाषा


न्यूटन के नियम का सूत्र परिभाषा

दोस्तों उम्मीद है कि आपको न्यूटन का द्वितीय नियम आसान और सरल भाषा में समझ में आ गया होगा अगर आपका कोई क्वेश्चन एक सवाल है तो हमसे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं |

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