वृत्तीय गति (Circular Motion in Hindi )

वृत्तीय गति (Circular Motion in Hindi ) किसे कहते हैं क्या है उदाहरण सहित समझाइए |


जब कोई कण एक समतल में वृत्तीय पथ पर गति करता है, तो उसकी गति वृत्तीय गति (Circular motion)
कहलाती है।
यदि कण अचर चाल से वृत्तीय पथ पर गति करता है तो उसकी गति एकसमान वृत्तीय गति (Uniform circular
motion) कहलाती है।

यदि कण परिवर्ती चाल से वृत्तीय पथ पर गति करता है तो उसकी गति असमान वृत्तीय गति (Non-uniform circular motion) कहलाती है।
वृत्तीय पथ पर गति करते समय पथ के किसी बिन्दु पर कण का वेग उस बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा के अनुदिश होता है। जैसे-जैसे कण वृत्तीय पथ पर गति करता है वृत्त पर खींची गई स्पर्श रेखा भी घूमती जाती है, अतः कण के वेग की दिशा
भी बदलती जाती है। यद्यपि कण की चाल (वेग वेक्टर v का परिमाण) नियत
रहता है, परन्तु वेग की दिशा बदलते जाने के कारण कण का वेग बदलता जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि एकसमान वृत्तीय गति करते हुए कण की गति ½ में त्वरण होता है। यह त्वरण कण के वेग के परिमाण में कोई परिवर्तन उत्पन्न नहीं करता केवल उसकी दिशा को परिवर्तित करता है।


1.1

त्रिज्य सदिश (Radius Vector )


वृत्तीय पथ पर गति करते किसी कण की किसी क्षण विशेष पर स्थिति को वृत्त के केन्द्र के सापेक्ष प्रदर्शित करने वाला सदिश, त्रिज्य सदिश कहलाता है।
इसे r से प्रदर्शित करते हैं।

यदि वृत्तीय गति करता कोई कण किसी क्षण बिन्दु P पर हो तो उस क्षण उसका त्रिज्य
सदिश OP = r होगा |

1.2


यदि बिन्दु P के निर्देशांक (x, y) हों, तब

r = xi + y j


इस सदिश की दिशा, त्रिज्यीय दिशा में बाहर की ओर होती है।


कोणीय विस्थापन
(Angular Displacement) –

किसी समयान्तराल में, वृत्तीय पथ पर घूमते हुए कण के त्रिज्य सदिश द्वारा वृत्त के केन्द्र पर अन्तरित किया गया
कोण उस दौरान कण का कोणीय विस्थापन कहलाता है ।

माना कोई कण r त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर बिन्दु P से वामावर्त दिशा में चलना प्रारम्भ करता है (चित्र – 1.3)। माना किसी क्षण समय 1 पर कण की कोणीय स्थिति (प्रारम्भिक दिशाθP के सापेक्ष) θ1 है तथा समय t2 , पर कोणीय स्थिति 02 है। माना इस समयान्तराल At = (t2 – t1 ) में कण वृत्तीय पथ पर 𐤃s दूरी तय करता है।


तब कण का रेखीय विस्थापन = चाप𐤃B =𐤃s
तथा


कण का कोणीय विस्थापन 𐤃θ= θ21=चाप AB /त्रिज्या r


अथवा
𐤃θ= 𐤃s/r



कोणीय विस्थापन को रेडियन में नापा जाता है।

परिभाषा के अनुसार 1 रेडियन वह कोण है जो किसी वृत्त में वृत्त की त्रिज्या के बराबर लम्बाई -चाप द्वारा व्रत
के केन्द्र पर अन्तरित किया जाता है।

सूक्ष्म कोणीय विस्थापन एक सदिश राशि है |

1.3

कोणीय वेग (Angular Velocity )


वृत्तीय पथ पर गति करते हुए कण का कोणीय विस्थापन समय के साथ-साथ बदलता जाता है, अत: “वृत्तीय गति में किसी कण के, समय के साथ कोणीय विस्थापन की परिवर्तन-दर को उस कण का कोणीय वेग कहा जाता है।” इसे ग्रीक अक्षर ∞ (ओमेगा omega) से प्रदर्शित करते हैं।


यदि सूक्ष्म समयान्तराल 𐤃t में कण का कोणीय विस्थापन 𐤃θ है तो 𐤃t समयान्तराल में कण का



औसत कोणीय वेग क = 𐤃θ/𐤃t


यदि समयान्तराल 𐤃t अति सूक्ष्म हो अर्थात् 𐤃t → 0 है तो औसत कोणीय वेग, तात्कालिक (instantaneous)
कोणीय वेग के बराबर होगा।


अतः


तात्कालिक कोणीय वेग ∞ = Lim 𐤃t→ 0 -𐤃θ/𐤃t=dθ/dt




कोणीय वेग का मात्रक रेडियन/सेकण्ड तथा विमीय सूत्र [T – 1 ] है ।
कोणीय वेग ∞ एक सदिश राशि है जिसकी दिशा पिण्ड की घूर्णन अक्ष के अनुदिश होती है, जिसे दक्षिणावर्ती पेंच के
नियम द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

यदि हम एक पेंच को पिण्ड की घूर्णन अक्ष के अनुदिश रखकर पिण्ड के घूर्णन की दिशा में घुमाएँ तो पेंच के बढ़ने की दिशा, पिण्ड के कोणीय वेग की दिशा को बताएगी (चित्र-1.4)।

अतः आगे से हम कोणीय वेग @ को सदिश रूप के रूप में प्रयोग कर सकेंगे।
चूँकि वृत्त का एक चक्कर लगाने में कण 2r रेडियन कोण से घूमता है, अत: यदि एक पूरे चक्कर में कण द्वारा लिया गया समय T हो तो

कण का औसत कोणीय वेग क w=2r/T

यदि कण की घूर्णन आवृत्ति (1 सेकण्ड में लगाए गए चक्करों की संख्या) n है तो
कण का औसत कोणीय वेग @ = 2rn

यहां आर का मतलब पाई है |

यहाँ यह ध्यान रखने योग्य है कि यदि कोई कण बदलते हुए कोणीय वेग से गति कर रहा है तो उसका औसत कोणीय वेग, किसी विशेष क्षण के तात्कालिक कोणीय वेग से भिन्न होगा। इसके विपरीत, यदि कण एकसमान कोणीय वेग से गति कर रहा है तो उसका औसत कोणीय वेग, किसी भी क्षण उसके तात्कालिक कोणीय वेग के बराबर होगा।

रेखीय वेग (Linear Velocity )


ऋजुरेखीय गति करते हुए कण का रेखीय विस्थापन समय के साथ-साथ बदलता जाता है, अत: “ऋजुरेखीय गति में
किसी कण के समय के साथ रेखीय विस्थापन की परिवर्तन दर को उस कण का रेखीय वेग कहा जाता है।”
इसका
मात्रक मीटर / सेकण्ड है।


माना गति आरम्भ होने के पश्चात् t समय से (t + 𐤃t) समय तक अर्थात् सूक्ष्म समयान्तराल 𐤃t में कणका रेखीय
विस्थापन 𐤃s है तो

𐤃t समयान्तराल में कण का औसत रेखीय वेग v =𐤃s/𐤃t

दोस्तों हमें उम्मीद है कि आपको इस पोस्ट में वृत्तीय गति (Circular Motion in Hindi ) आसानी से समझ में आ गया होगा हमने अपनी पूरी कोशिश की है कि आपको सरल और आसान भाषा में समझाएं हमारी पूरी कोशिश की गई है कि आपको एक सरल और आसान ऐसा में समझाएं चाय अगर आपको फिर भी कोई दिक्कत या परेशानी है या आप कुछ पूछना चाहते हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में हम से पूछ सकते हैं धन्यवाद |

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