Frame Reference निर्देश तंत्र | Inertial Frame of Reference जड़त्वीय निर्देश तंत्र | Non -Inertial Frame of Reference अजड़त्वीय निर्देश तंत्र |

निर्देश तंत्र Farme Of Reference –

किसी वस्तु की स्थिति, विस्थापन तथा वेद वेग भिन्न-भिन्न प्रेक्षण बिंदुओं के सापेक्ष भिन्न-भिन्न होते हैं | यदि हम कहे की हमारा स्कूल घर से 2 किमी की दूरी पर है, तू स्कूल की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाएगी क्योंकि यदि घर को केंद्र मानकर दो किमी त्रिज्या का एक वृत्त खींचे तब व्रत की परिधि पर स्थित प्रत्येक बिंदु घर से 2 किमी दूरी पर होगा |

किसी बिंदु की स्थिति को स्पष्ट करने के लिए हमें एक संदर्भ बिंदु तथा अच्छों के एक समुच्चय की आवश्यकता होती है | सामान्यता समकोण निर्देशांक निकाय को प्रयोग में लाते हैं |

इस निकाय में तीन परस्पर लंबवत अच्छे होती हैं जिन्हें क्रमशा: X,Y तथा Z अच्छ कहते हैं तथा इन अच्छों का कटान बिंदु मूल बिंदु कहलाता है जो इस निकाय का संदर्भ बिंदु कहलाता है | किसी वस्तु की इन अच्छों से लंबवत दूरियां उसके x,y, तथाz निर्देशांक कहलाते हैं तथा यह वस्तु के निर्देशांक निकाय में स्थिति को स्पष्ट करते हैं | समय मापन के लिए इस निकाय में प्राया संदर्भ बिंदु पर एक घड़ी रख देते हैं |

घड़ी सहित किसी निर्देशक निकाय को निर्देश तंत्र ( Frame of reference ) कहते हैं |

इस प्रकार एक संदर्भ बिंदु, अच्छों k1 समुच्चय तथा उसे संबंध एक घड़ी का निकाय निर्देश तंत्र कहलाता है |

जड़त्वीय निर्देश तंत्र Inertial Frame Of Reference –

निर्देश तंत्र जिनमें न्यूटन के गति विषयक नियमों का पालन होता है जड़त्वीय निर्देश तंत्र कहलाते हैं | यह निर्देश तंत्र या तो स्थिर रहते हैं या एक समान वेग से गतिशील होते हैं |

ऐसे निर्देश तंत्र में किसी कण का त्वरण a तभी शून्य होता है जब कड़का आरोपित नेटबॉल F=0 होता है अन्यथा नहीं था यदि

F=0 तो a=0 होगा

किसी जड़त्वीय निर्देश तंत्र के सापेक्ष एक समान वेग से चलने वाले सभी निर्देश तंत्र जड़त्वीय निर्देश तंत्र होते हैं | किसी कल का त्वरण उन सभी जड़त्वीय निर्देश तंत्रों में समान रहता है जो एक दूसरे के सापेक्ष नियत वेग से गतिमान होते हैं |

उदाहरण– व्यवहार में पृथ्वी से संबंधित कोई भी निर्देश तंत्र एक जड़त्वीय निर्देश तंत्र है |

Non -Inertial Frame of Reference अजड़त्वीय निर्देश तंत्र

वे निर्देश तंत्र जिसमें न्यूटन के गति विषयक नियम वेद नहीं होते हैं अजड़त्वीय  निर्देश तंत्र कहलाते हैं |

दूसरे शब्दों में देन निर्देश तंत्र जो त्वरित रति करते हैं तथा त्वरित गति से गतिमान वस्तुओं की गति को स्पष्ट करने में सक्षम होते हैं अजड़त्वीय  निर्देश तंत्र कहलाते हैं | इस निर्देश तंत्र में त्वरित वस्तु एक छदम बल कार्य करता है |

उदाहरण – वृत्ताकार पथ पर मूर्ति हुई कार से संबंध निर्देश तंत्र एकअजड़त्वीय तंत्र है, क्योंकि वृत्ताकार मोड पर कार के मोड़ ते समय उसमे बैठा यात्री वृत्ताकार पथ के केंद्र के बाहर की ओर को एक बल का अनुभव करता है जिसे अपकेंद्र बल कहते हैं जबकि वास्तव में पर कोई बल कार्य नहीं करता है | इन निर्देश तंत्रों में वस्तुओं की गति का अध्ययन न्यूटन के गति विषयक नियमों के आधार पर नहीं किया जा सकता है |

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